*➡️ लाइसेंसविहीन सप्लायर से खरीदी का शक, जबरन किट थोपे जाने से नाराज़ किसान*
*📝 रेखा शर्मा संभागीय ब्यूरो 📝*
*रीवा।* मध्य प्रदेश में किसानों की भलाई के लिए जहां मुख्यमंत्री मोहन सरकार सस्ती दरों पर बीज, उर्वरक और कीटनाशक उपलब्ध कराने की योजनाएं बना रही है, वहीं दूसरी ओर रीवा कृषि विभाग के कुछ अधिकारी इन योजनाओं को पलीता लगाने पर तुले हैं। उपसंचालक यू.बी. बागरी पर आरोप है कि वे अपने तानाशाही रवैये और भ्रष्टाचार की वजह से न केवल किसानों का शोषण कर रहे हैं, बल्कि भारी कमीशनखोरी में भी लिप्त हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रीवा जिले के सभी ब्लॉकों में *किसानों को उर्वरक और कीटनाशक की दो किट जबरन 1430+1430 रुपये में दी जा रही है,* जबकि इसकी असली लागत कहीं कम है।
*किसानों को धमकी दी जा रही है कि यदि वे यह किट नहीं लेते हैं तो उन्हें बीज और अन्य कृषि सामग्री नहीं दी जाएगी।* इस जबरदस्ती की नीति ने किसानों को असमंजस और लाचारी में डाल दिया है।
विशेष रूप से *सिरमौर ब्लॉक के प्रभारी एसएडीओ बी.पी. सिंह का रवैया भी सवालों के घेरे में है।* उन्होंने सभी ग्रामसेवकों को यह निर्देश दिया है कि यदि कोई भी ग्रामसेवक किसानों के साथ सहानुभूति दिखाता है या उन्हें यह किट लिए बिना बीज देने का प्रयास करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश न केवल अधिकारियों की मनमानी को दर्शाता है, बल्कि सरकारी तंत्र के भीतर चल रही अंदरूनी सड़ांध को भी उजागर करता है।
किसानों की माने तो जो कीटनाशक व उर्वरक किट उन्हें दी जा रही है, वह ना केवल अधिक कीमत पर है बल्कि सूत्रों की माने तो जिस सप्लायर से यह मंगाई गई है, उसके पास वैध लाइसेंस तक नहीं है। *यह अपने आप में बड़ा घोटाला है, हो सकता है करोड़ों का खुलासा।* यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए, तो कृषि विभाग में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आ सकता है।
*➡️ सबसे बड़ा सवाल*
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि यह माल किसने सप्लाई किया।किसके आदेश पर और किसके संरक्षण में किसानों को जबरन ठगा जा रहा है? क्या सरकार की कल्याणकारी योजनाएं ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के हाथों गिरवी रख दी जाएंगी? यह जरूरी है कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि किसानों का भरोसा सरकार और कृषि व्यवस्था पर बना रहे।
*➡️ प्रदेश के अन्नदाता को न्याय मिले – यही समय की मांग है।*
