ओबीसी महासभा ने उठाई 42% आरक्षण लागू करने की मांग, ज्ञापन सौंपकर दी चेतावनी – ‘नहीं तो होगा व्यापक आंदोलन’

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शहडोल (ब्यौहारी), मध्यप्रदेश |


ओबीसी महासभा द्वारा शहडोल मुख्यालय की तहसील ब्यौहारी में एक सशक्त प्रदर्शन कर शासन-प्रशासन को चेताया गया कि यदि मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग

(OBC) को 42% आरक्षण शीघ्र लागू नहीं किया गया और वर्तमान में होल्ड पर चल रहे 13% पदों को तत्काल अनहोल्ड कर 27% आरक्षण के अंतर्गत चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्त नहीं किया गया, तो महासभा चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेगी।

इस मौके पर महासभा ने तहसीलदार महोदय को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें अन्य कई अहम मुद्दों को भी सम्मिलित किया गया। यह ज्ञापन देश के माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, और केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के नाम भी संबोधित किया गया है।

मुख्य मांगें:

1. जातिगत जनगणना:
2027 की जनगणना में जातिगत आंकड़ों का स्पष्ट उल्लेख करने हेतु एक पृथक कॉलम जोड़ा जाए।


2. बैकलॉग भर्ती:
अनुसूचित जाति, जनजाति एवं ओबीसी वर्ग के लिए लंबित लगभग 70 लाख सरकारी पदों पर त्वरित भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।


3. 27% आरक्षण की बहाली:
मध्यप्रदेश के ओबीसी के लिए आरक्षित 13% पदों को अनहोल्ड कर पुनः 27% आरक्षण लागू किया जाए, जिससे चयनित अभ्यर्थियों को समय रहते नियुक्ति मिल सके।


4. शिक्षा में समान अवसर:
मेडिकल, इंजीनियरिंग, प्रबंधन समेत समस्त निजी शिक्षण संस्थानों में ओबीसी छात्रों को सरकारी फीस पर प्रवेश दिलाया जाए।


5. ओबीसी अत्याचार निवारण अधिनियम:
ओबीसी समाज के खिलाफ बढ़ते अन्याय व भेदभाव को रोकने के लिए “ओबीसी एट्रोसिटी एक्ट” लागू किया जाए।


6. बाबा साहब की प्रतिमाएं:
ग्वालियर खंडपीठ, सभी हाईकोर्ट और जिला सत्र न्यायालयों में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाएं स्थापित की जाएं।


7. तेलंगाना पंचायत चुनाव में आरक्षण:
हैदराबाद व तेलंगाना में पंचायत चुनाव से पूर्व 42% ओबीसी आरक्षण लागू किया जाए, अन्यथा चुनाव बहिष्कार की चेतावनी।


8. दिल्ली में ओबीसी सर्टिफिकेट प्रक्रिया में सुधार एवं निगम सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए।


9. उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में हो रही ओबीसी पर अत्याचार की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई:
इटावा, कौशांबी, जबलपुर, छतरपुर, व कौशांबी जैसी जगहों पर ओबीसी समाज के कथावाचकों व मासूम बच्चियों के साथ हो रहे अमानवीय अत्याचारों पर सख्त आपत्ति जताई गई और तत्काल न्याय व कार्रवाई की मांग की गई।


10. छत्तीसगढ़ में लंबित 27% आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल की शीघ्र स्वीकृति सुनिश्चित की जाए।


11. ओबीसी को सभी क्षेत्रों में उचित प्रतिनिधित्व मिले:
विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के सभी संस्थानों में जातिगत जनगणना के आधार पर आरक्षण लागू हो।



ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख चेहरे:

ज्ञापन सौंपते समय ओबीसी महासभा जिला अध्यक्ष श्री विजय कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष श्री अवधेश प्रताप यादव, पवन कुमार पटेल, प्रदीप पटेल, विनोद ताम्रकार, अधिवक्ता ओमप्रकाश यादव, राजकुमार पटेल, शिवम यादव, अधिवक्ता दीपांशु नेटी, रमेश कहार, कोमल सेन, रज्जन पटेल, प्रमोद यादव, संजय जी, अजय प्रताप जी, जितेंद्र कुमार, रामप्रकाश वड़करे, राकेश केवट सहित अनेक समाजसेवी व महासभा के सदस्य उपस्थित रहे।

ओबीसी महासभा की चेतावनी:

महासभा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि सरकार उनकी मांगों पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है, तो पूरे प्रदेश में सड़कों पर उतरकर महा आंदोलन किया जाएगा और लोकतांत्रिक तरीके से सरकार को जवाब दिया जाएगा।




“जय ओबीसी, जय संविधान” के नारों के साथ समाप्त हुए इस ज्ञापन कार्यक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि ओबीसी समाज अब अपने हक और अधिकार के लिए पूरी तरह से सजग और एकजुट हो चुका है।



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