पोरसा। (रवि तोमर की रिपोर्ट)
क्षेत्र में सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण नहरों का टूटना और लीकेज होना किसानों के लिए एक गंभीर संकट बन गया है। कोटा बैराज से निकली नहरों के निर्माण के बाद से ही नहरों में लीकेज और टूटने की समस्याएं बढ़ गई हैं, जिससे किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। हाल ही में, एक नहर के फूटने से 10 एकड़ गेहूं की फसल बर्बाद हो गई, जिससे किसानों में गुस्सा और चिंता का माहौल बना हुआ है। किसानों का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो उनका आर्थिक नुकसान बढ़ जाएगा, और उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
नहरों की सही मरम्मत न होने से बढ़ी समस्या
पोरसा क्षेत्र में शासकीय महाविद्यालय धनेटा गांव के पास एक नहर का टूटना किसानों के लिए बहुत बड़ा नुकसान साबित हुआ। किसान उदल सिंह कुशवाह की 10 एकड़ गेहूं की फसल पानी में डूब गई, और लगभग 2 एकड़ की फसल तेज बहाव में बह गई। नहर का फूटना और पानी का भर जाना किसान की पूरी मेहनत को व्यर्थ कर देता है, और यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब नहरों की मरम्मत के लिए विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठाता। किसानों ने कई बार शिकायत की, लेकिन विभाग ने नहरों की मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे उनकी समस्या और बढ़ गई।
ठेकेदार की घटिया निर्माण और विभाग की अनदेखी
नहरों के निर्माण में इस्तेमाल की गई घटिया सामग्री और नहरों में लीकेज की समस्या एक बार फिर से उभर कर सामने आई है। किसानों का आरोप है कि ठेकेदार ने नहरों का निर्माण करते वक्त घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया, जिससे नहरों में लीकेज हो गया और नहरें टूटने लगीं। जब विभाग को इस बारे में सूचित किया गया, तो उन्होंने कागजी कार्रवाई तो पूरी की, लेकिन मौके पर जाकर निरीक्षण या मरम्मत का कोई प्रयास नहीं किया। इससे पहले भी कोंथर कला गांव के पास नहर की पार टूटी थी, जिससे फसलों में पानी भर गया था, लेकिन विभाग ने तब भी कोई कार्रवाई नहीं की थी। इस लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
किसानों का कहना है – “रातों की नींद उड़ी हुई है”
पोरसा क्षेत्र के किसान थाने सिंह तोमर ने कहा, “हम रातभर नहर की देखरेख करते हैं, क्योंकि अगर रात के समय नहर टूट जाए तो हमारी पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। हम डर के साये में रहते हैं कि कहीं नहर का पानी हमारी फसल को नुकसान न पहुंचा दे।” किसानों की स्थिति यह है कि उन्हें अपनी फसलों को बचाने के लिए रातभर जागकर नहरों की निगरानी करनी पड़ती है। यह मानसिक और शारीरिक रूप से अत्यधिक थकाने वाला काम है, लेकिन इसके बावजूद, उन्हें अपनी फसल को बचाने के लिए यह कदम उठाना पड़ता है।
किसानों का दर्द – क्या सरकार जागेगी?
किसान इस बात से परेशान हैं कि सिंचाई विभाग को पहले से ही नहरों के टूटने और लीकेज की जानकारी थी, लेकिन विभाग ने नहरों की मरम्मत और सफाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। किसानों का कहना है कि अगर नहरों की मरम्मत समय पर की जाती तो इस तरह का नुकसान नहीं होता। अब किसानों की यह उम्मीद है कि सरकार और सिंचाई विभाग इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देंगे और जल्द ही नहरों की मरम्मत करेंगे ताकि भविष्य में किसानों को इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े।
विभाग से तत्काल कार्रवाई की उम्मीद
किसानों का आरोप है कि सिंचाई विभाग की लापरवाही और अधिकारियों की अनदेखी के कारण उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं। किसान अब उम्मीद कर रहे हैं कि विभाग शीघ्र कार्रवाई करेगा और नहरों की मरम्मत को प्राथमिकता के आधार पर करेगा। यदि विभाग ने इस दिशा में जल्द कदम नहीं उठाए तो किसानों के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। नहरों का टूटना किसानों के जीवन के लिए खतरे का संकेत है, और अगर यह समस्या हल नहीं होती, तो पूरे क्षेत्र की कृषि व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। अब समय आ गया है कि विभाग इस पर गंभीरता से ध्यान दे और नहरों की मरम्मत को प्राथमिकता दे, ताकि किसानों की मेहनत को सही मायने में सम्मान मिल सके।
दफ्तर में ताला जड़ा कर्मचारी रहे नदारद
शासकीय अस्पताल के पीछे संचालित सिंचाई विभाग पोरसा के कार्यालय जब दोपहर 3:00 संबंधित अधिकारी से जानकारी इकट्ट करने पहुंचे तो कार्यालय में ताला जड़ा था और सभी कर्मचारी नदारद थे।