जहां बसे गुजराती, वहाँ बसे गुजरात : राज्यपाल श्री पटेल - YES NEWS

जहां बसे गुजराती, वहाँ बसे गुजरात : राज्यपाल श्री पटेल

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जहां बसे गुजराती, वहाँ बसे गुजरात : राज्यपाल श्री पटेल

राज्यपाल अखिल भारतीय गुजराती समाज के शपथ विधि कार्यक्रम में शामिल हुए

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि गुजराती देश-दुनिया का विशिष्ट समाज है, जो जहां भी जाते है वसुधैव परिवार, वैदिक संस्कृति की भावना के साथ संगठित रहता है। सामुदायिक रूप से एकजुट होकर एक-दूसरे के सुख-दुख को साझा करता है। इसी लिए कहा भी जाता है कि जहां बसे गुजराती, वहाँ बसे गुजरात। इस उक्ति को चरितार्थ करने का कार्य अखिल भारतीय गुजराती समाज संगठन करता है। उन्होंने कहा कि संगठन द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के द्वारा भावी पीढ़ी को गुजराती संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का कार्य बड़ी जिम्मेदारी है। इस महत्वपूर्ण संगठन के निर्विरोध प्रमुख बनने पर भोपाल गुजराती समाज के अध्यक्ष संजयभाई पटेल को बधाई दी।

 राज्यपाल श्री पटेल अखिल भारतीय गुजराती समाज द्वारा आयोजित शपथ विधि कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन गुजराती भवन भोपाल में किया गया था। राज्यपाल श्री पटेल का समाज की ओर से स्मृति चिन्ह और शॉल से अभिनंदन किया गया। राज्यपाल और अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राज्यपाल श्री पटेल ने कार्यक्रम में समाज के राज्य प्रमुख/ राष्ट्रीय पदाधिकारियों का सम्मान किया। उपस्थित जनों को अनुशासित जीवन अभियान की शपथ ग्रहण कराई।

राज्यपाल श्री पटेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि कार्यक्रम मातृभाषा गुजराती में संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाज के संगठन का दायित्व अधिकारिता का कार्य नहीं, जवाबदारी की जिम्मेदारी है। सबको साथ लेकर चलने का कार्य है। उन्होंने अखिल भारतीय गुजराती समाज के नव निर्वाचित प्रमुख श्री पटेल के समाज के संगठनात्मक गतिविधियों में सबके साथ और विश्वास से कार्य करने की शैली की सराहना की। संगठन में खजांची और महामंत्री के रूप में अनुभव और कार्यों का उल्लेख करते हुए। अखिल भारतीय गुजराती समाज के सदस्यों को संगठन के प्रमुख के रूप में योग्य व्यक्ति के चयन के लिए बधाई दी।

इस अवसर पर अखिल भारतीय गुजराती समाज के प्रमुख श्री हिमांशु कुमार मेहता, भोपाल श्री चेतन पटेल, श्री परेश टी ठक्कर और विद्वान श्री जय भाई वसावड़ा मंचासीन थे।

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